अब्दुल कलाम जी को अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति नाम से भी जाने जाते हैं, अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में अपना योगदा दिए थे। उन्होंने सिखाया जीवन में चाहें कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो आप अपने सपनों को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही दम लेटे हैं। अब्दुल कलाम मसऊदी के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
• इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में 'मिसाइल मैन' के रूप में जाना जाता है।
• इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक बहुत ही निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई थी।
• कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में वापस लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त किये हैं।
प्रारंभिक जीवन:
15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम अंसार परिवार में इनका जन्म हुआ था। इनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे, बस जैसे तैसे अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहा करते थे। अब्दुल कलाम पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा है। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, फिर भी उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था। उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था कि जीवन मे सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था, अपेक्षा इन तीन शक्तियो को भलीभाँति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए। पांचवी कक्षा में पढ़ते समय उनके अध्यापक उन्हें पक्षी के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब छात्रों को समझ नही आया तो अध्यापक उनको समुद्र तट ले गए जहाँ उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर अच्छे से समझाया, इन्ही पक्षियों को देखकर कलाम ने तय कर लिया कि उनको भविष्य में विमान विज्ञान में ही जाना है। कलाम के गणित के अध्यापक सुबह ट्यूशन लेते थे इसलिए वह सुबह 4 बजे गणित की ट्यूशन भी पढ़ने जाते थे। अब्दुल कलाम ने अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए घर घर जा कर अख़बार पहुंचाने का काम भी करते थे।
करियर और देश के लिए योगदान:
अब्दुल कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान (Space Science) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका बखूबी निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
• 1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े थे। अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (S.L.V 2) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ था। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित कर दिया था। इस तरह भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। यह सब अब्दुल कलाम जी की लगन और कड़ी मेहनत से ही हो सका।इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें दिया जाता है। अब्दुल कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया था। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे थे। उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया था। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया गया था। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता हासिल की थी। कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक खास सोच प्रदान की थी। यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रह चुके हैं। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर लगा दिया था। अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को जाता है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये थे। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में भारत को शामिल कर दिया।
• इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया था। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुन लिया गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई थी। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण मौजूद थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ था। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी थी। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ' आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कई कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और भारत के अलावा वहाँ भी बहुत ज़्यादा पसंद किया जाता है।
•। यह बात याद रखें अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया था। अब्दुल कलाम भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे और इसके लिए इनके पास एक बहुत अच्छा कार्य योजना भी थी। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे थे। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते थे। कलाम का कहना था कि 'सॉफ़्टवेयर' का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद रहे हैं।
अंतिम समय और निधन:
27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम जी भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे तभी उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और ये बेहोश हो कर वहीं गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल के आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई थी।अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि जब कलाम को अस्पताल लाया गया था तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं।
जैसे ही अब्दुल कलाम जी की मृत्यु की खबर देश में फैली पूरा देश दंग रह गया, हर किसी की ज़ुबान पर यही था आज हमने अपना मिसाइल मैन खो दिया।
मृत्यु के तुरंत बाद अब्दुल कलाम के शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से शिलांग से गुवाहाटी लाया गया था। जहाँ से अगले दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर वायुसेना के विमान C-130J हरक्यूलिस से दिल्ली लाया गया था। लगभग 12:15 पर विमान पालम हवाईअड्डे पर उतरा था। सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और कलाम के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये थे।
30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफ़ना दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित 3,50,000 से अधिक लोगों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया था।
अब्दुल कलाम के निधन से देश भर में और सोशल मीडिया में पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिये कई प्रकार के कार्य किये गए थे।
भारत सरकार ने कलाम को सम्मान देने के लिए सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की थी।
अब्दुल कलाम की मृत्यु की खबर से दुनियां भर में ग़म का माहौल था
• दलाई लामा ने अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की और कलाम की मौत को "एक अपूरणीय क्षति" बुला, अपना दुख व्यक्त किया।
• दक्षिण एशियाई नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की थी। भूटान सरकार ने कलाम की मौत के गम में अपने देश के झंडे को आधी ऊंचाई पर फहराने के लिए आदेश दिया था, और श्रद्धांजलि में 1000 मक्खन के दीपक की भेंट किए थे। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कलाम के प्रति अपना गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, "वे एक महान नेता थे जिनकी सभी ने प्रशंसा की विशेषकर भारत के युवाओं के वे प्रशंसनीय नेता थे जिन्हें वे जनता का राष्ट्रपति बुलाते थे।"
• बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि भारत के सबसे प्रसिद्ध बेटे, पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर हमें गहरा झटका लगा है। ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम अपने समय के सबसे महान ज्ञानियों में से एक थे। वह बांग्लादेश में भी बहुत सम्मानित थे। उनकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की वृद्धि करने के लिए अमूल्य योगदान के लिए वे सभी के द्वारा हमेशा याद किये जायेंगे
• अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, ने कलाम को, "लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणादायक शख्सियत बताया"
• नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भारत के लिए कलाम के वैज्ञानिक योगदानों को याद किया। और यह भी कहा कि "नेपाल ने एक अच्छा दोस्त खो दिया है और मैंने एक सम्मानित और आदर्श व्यक्तित्व को खो दिया है।"
• पाकिस्तान के राष्ट्रपति, ममनून हुसैन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर उनके प्रति दु: ख, शोक व संवेदना व्यक्त की।
• श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा, "कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य भावना के आदमी थे। मैंने उन्हें दुनिया के एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में देखा था। उनकी मौत भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बुरी खबर है।
इसी के साथ, सऊदी अरब, दुबई, इंडोनेशिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली, अमेरिका, समेत दुनिया भर के देशों ने अब्दुल कलाम की मृत्यु पर शोक जताया, और उन्हें भी उतना ही दुख हुआ जितना एक भारतीय को हुआ था
क्योंकि ए पी जे अब्दुल कलाम एक ऐसा नाम है जिनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है, शायद ही कोई होगा जो उनसे नफरत करता हो, अब्दुल कलाम जी को भारत के साथ साथ पूरी दुनिया से प्यार और सम्मान मिलता था और मिल रहा है,
27 July (dr apj abdul kalam death anniversary)
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