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डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जीवनी

डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय समाज सुधारक, न्यायविद, राजनीतिज्ञ और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता थे। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनका पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था और वे महार जाति से थे, जो उस समय अछूत मानी जाती थी।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जीवनी

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: अंबेडकर का जन्म एक निम्न जाति के परिवार में हुआ था, और उन्हें बचपन में जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सतारा और बॉम्बे (अब मुंबई) में हुई। 1912 में, उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। 1913 में, उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति मिली, जहाँ से उन्होंने 1915 में एम.ए. और 1916 में पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ग्रेज़ इन में कानून की पढ़ाई की।

सामाजिक सुधार और आंदोलन: अंबेडकर ने दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया। 1927 में उन्होंने महाड़ सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसमें दलितों को सार्वजनिक जल स्रोतों का उपयोग करने का अधिकार दिलाने का प्रयास किया गया। 1930 के दशक में उन्होंने अछूत समुदाय के लिए राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की मांग की।

संविधान निर्माण: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, अंबेडकर को भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति का अध्यक्ष बनाया गया। उनके नेतृत्व में, भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। अंबेडकर ने संविधान में समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों को प्रमुखता दी और दलितों और महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े।

धर्म परिवर्तन: अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया और अपने अनुयायियों से भी ऐसा करने का आह्वान किया। उन्होंने हिंदू धर्म में जातिगत भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और बौद्ध धर्म को समानता और मानवता का धर्म बताया।


निधन: डॉ. अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

डॉ. अंबेडकर का जीवन और कार्य न केवल दलित समुदाय के लिए बल्कि पूरे भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने समतामूलक समाज की स्थापना के लिए अथक प्रयास किए और भारतीय संविधान के माध्यम से न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों को स्थापित किया।

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