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मार्टिन कूपर, दुनियां का पहला मोबाईल फोन, आविष्कार, पत्नी, संघर्ष, पुरुष्कार, संपति, बच्चे, बायोग्राफी,

मार्टिन कूपर एक बहुत ही प्रसिद्ध अमेरिकी इंजीनियर हैं, जिन्हें दुनियां का पहला मोबाइल फोन के आविष्कारक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने ही पहली बार साल 1973 में एक पोर्टेबल सेलुलर टेलीफोन का प्रदर्शन दुनियां के सामने किया था। उनका जीवन, संघर्ष, लगन, मेहनत, और काबिलियत का एक अनोखा संगम है। जीवन में कुछ नया कर दिखाने वालों की बात ही अलग होती है, ऐसे लोग अक्सर वो सोचते हैं जो आम लोग सपने में भी सोच न सके।
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महत्वप्पूर्ण जानकारियां:

जन्म: 26 दिसंबर 1928

उम्र: 95 साल (2024) तक...

जन्म स्थान: शिकागो, इलिनॉय, अमेरिका

शिक्षा: इलिनॉय इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और मास्टर की डिग्री प्राप्त की।

मार्टिन कूपर का प्रारंभिक जीवन कैसा था:

मार्टिन कूपर का प्रारंभिक जीवन कई सारी कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा हुआ था, फिर भी वो अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर इतनी ऊंचाइयों को छूने में कामयाब रहे।

पत्नी और बच्चे: मार्टिन कूपर की पत्नी का नाम "एरलीन हैरिस" है, जो खुद भी एक प्रसिद्ध उद्यमी और वायरलेस उद्योग में अग्रणी हैं। उनके बच्चों की संख्या और उनके बारे में कोई भी जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।

मार्टिन कूपर के प्रारंभिक जीवन के कुछ प्रमुख पल इस प्रकार हैं:

1. परिवार: मार्टिन कूपर एक जी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, उनके माता पिता ने कड़ी मेहनत करते हुए इन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई, इनकी पढ़ाई में किसी तरह की रुकावट न आए इस लिए इनके माता पिता हर समय इनके अच्छे भविष्य के लिए कुछ न कुछ करते रहते थे।

2. शिक्षा: मार्टिन कूपर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिकागो के ही  सार्वजनिक स्कूलों से प्राप्त की है।

स्कूल के बाद की पढ़ाई:

1. स्नातक (Bachelor's Degree): मार्टिन कूपर ने "इलिनॉय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी" (Illinois Institute of Technology, IIT) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और (Bachelor of Science) की डिग्री हासिल की। 

2. स्नातकोत्तर (Master's Degree): मार्टिन कूपर ने उसी संस्थान से "इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग" में मास्टर (Master's Degree) की डिग्री भी हासिल की थी। 

3. स्नातकोत्तर (Master of Business Administration - MBA): इन सब के बाद उसी संस्थान से "MBA" की डिग्री भी हासिल की, जिससे उन्हें व्यवसाय और प्रबंधन के क्षेत्र में भी अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ था।

• वह बचपन से ही विज्ञान और तकनीक के विषय में दिलचस्पी लिया करते थे, यही कारण है कि सो इस फील्ड में अपनी दिलचस्पी को और आगे लेकर बढ़ते रहे।

• अपने जीवन का कुछ हिस्सा उन्होंने US Navy को तब दिया जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था।

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• US Navy को अपनी सेवाएं देने के बाद उन्होंने इलिनॉय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और डिग्री हासिल की।

3. शुरुआती करियर: ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद, मार्टिन कूपर ने कई सारी नौकरि की है, जिनमें से कुछ का संबंध सीधे रेडियो और वायरलेस तकनीक से था। 

• मार्टिन कूपर ने सबसे पहले टेलीटाइप कॉर्पोरेशन (Teletype Corporation) में काम किया था, जहाँ उन्होंने वायरलेस सिस्टम को ठीक से समझा और अपनी समझ को और ज़्यादा विकसित किया।

• आखिर में सारी नौकरियों को छोड़ कर, उन्होंने मोटरोला कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया, मोटोरोला कंपनी से ही उनके करियर की असल शुरुआत हुई थी। यहीं पर काम करते हुए उन्होंने मोबाइल फोन तकनीक पर काम करना शुरू किया था। और उन्होंने अपने काम के ज़रिए वो कर दिखाया जिसके बारे में पहले कभी किसी ने सोचा ही न था, उन्होंने दुनिया को एक ऐसा तोहफा दिया जो आज के समय हर किसी की ज़रूरत बन चुका है, बल्कि हम ये कह सकते हैं कि उसके बिना आज के इंसानों का जीवन अधूरा है। उस आविष्कार का नाम है वायरलैस मोबाइल फोन । 

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यह है दुनिया का पहला मोबाईल फोनो Motorola DynaTAC 8000X
मार्टिन कूपर ने अपनी मेहनत और लगन से दुनियां का पहला मोबाइल फोन 3 अप्रैल साल 1973 को बनाया था इस मोबाइल फोन का नाम "Motorola DynaTAC 8000X" रखा गया था। यह दुनिया का पहला पोर्टेबल मोबाइल फोन था जिसे हाथ में लेकर कहीं भी लेकर जाया जा सकता था। इस फोन का वज़न तकरीबन 1.1 किलोग्राम था और इसे पूरी तरह से चार्ज करने में लगभग 10 घंटे लग जाया करते थे। एक बार बैटरी फुल चार्ज करने पर इस फोन से लगभग 30 मिनट तक ही बात की जा सकती थी। इतना कम बैटरी बैकअप हमे आज के समय बहुत ही कम लग सकता है, लेकिन उस समय लोगों लिए 30 मिनिट का बैटरी बैकअप भी मायने रखता था।

कैसे हुई थी दुनिया के पहले मोबाईल फोन को बनाने की शुरुआत: 

• मार्टिन कूपर के दिमाग में हर समय ये खयाल आता था कि लोग कब तक टेलीफोन के पास खड़े रह कर अपने किसी रिश्तेदार या जानने वालों से बात करेंगे, उनको टेलीफोन के पास खड़े होकर बात करना एक बंदिश जैसा लगता था। 

• उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे लोगों को टेलीफोन के पास खड़े रहने की ज़रूरत न हो, बल्कि लोग जहां चाहें वहीं पर फोन उनके पास आ जाए 

• इन्हीं सब खयालों ने उन्हें पोर्टेबल फोन यानि मोबाइल फोन के आविष्कार का आइडिया आया।

• उन्होंने मोबाईल फोन बनाने की तकनीक पर अध्ययन किया और उसे बनाने की जद्दोजहद में लग गए।

संघर्षों का सामना करते हुए मकसद को पूरा कैसे किया:

जब उन्होंने मोबाईल फोन के आविष्कार के बारे में अपने साथियों और करीबी लोगों को बताया तो सभी उनकी बात समझने में न कामयाब रहे, क्यों कि हर कोई ऐसी किसी चीज़ के बारे में समझने में नाकाम रहा, इसकी वजह थी कि वो जिस चीज़ को बनाना चाहते थे उस बारे में और लोगों ने न कभी सोचा था और न कभी सुन था।

इन सब के बावजूद वो अपने काम में लगे रहे, धीरे धीरे उनकी बात लोगों को समझ आने लगी, और तब जा कर उनके कुछ साथी इस मिशन पर उनके साथ आए, और इस प्रकार एक टीम बनी। वैसे तो मार्टिन कूपर को कई लोगों की सहायता मिली लेकिन उनकी टीम के दो लोग ऐसे हैं जिनका सबसे ज़्यादा योगदान रहा है। दुनिया के पहले मोबाईल फोन के आविष्कार में मार्टिन कूपर के साथ इन लोगों का नाम भी लिया जाना चाहिए।

1. जॉन फ्रांसिस मिशेल (John F. Mitchell): यह उस समय मोटरोला के उपाध्यक्ष और मुख्य इंजीनियर की पोजिशन पर थे, इन्होंने मार्टिन कूपर के साथ मिलकर मोबाइल फोन के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

2. मोटरोला कंपनी की इंजीनियरिंग टीम: मार्टिन कूपर के अंडर मोटरोला की एक पूरी इंजीनियरिंग टीम ने काम किया था, इस टीम ने "Motorola DynaTAC 8000X" का विकास किया था। इस टीम में कई  इंजीनियर, डिजाइनर, और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे, जिन्होंने मोबाइल फोन के हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर को विकसित करने में मदद की। और मार्टिन कूपर के आइडिया पर हर तरह की मुमकिन कोशिश करते हुए मोबाईल फोन के आविष्कार में अपना योगदान दिया।

• मार्टिन कूपर के पहले मोबाइल फोन, जिसका नाम Motorola DynaTAC 8000X, था को सबसे पहले साल 1983 में आम जनता के लिए उपलब्ध कराया गया था। यह फोन लॉन्च होते ही बहुत लोकप्रिय हो गया था, लेकिन इसका पहला खरीदार कौन था, इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक रूप से आज तक उपलब्ध उपलब्ध नहीं है। 

दुनियां के पहले मोबाईल फोन की कीमत क्या थी:

• मार्टिन कूपर का यह फोन उस समय बहुत ही महंगा था, जिसकी कीमत लगभग $3,995 (1983 के समय के अनुसार) थी आज के समय अगर भारतीय रुपए से देखा जाए तो इसकी आज की कीमत होती है 335397 "तीन लाख, पैंतीस हजार, पांच सौ, सत्तावें रुपए,(15/08/2024) की तारीख के अनुसार। इतना महंगा होने के कारण इस फोन को की आम नागरिक खरीदने की हिम्मत नहीं कर सकता था, फिर भी इस फोन की काफी बिक्री हुई, इसके खरीदारों में बड़े बड़े उद्योगपति, उस समय के सेलीब्रिटी जैसे लोग शामिल थे। 

दुनियां का पहला मोबाईल फोन कैसे काम करता था:

• दुनियां के पहले मोबाईल फोन Motorola DynaTAC 8000X, में आज की तरह सिम कार्ड का उपयोग नहीं किया जा सकता था। असल में जब साल 1973 मे जब दुनिया का पहला मोबाइल फोन बनाया गया था, उस समय सिम कार्ड की तकनीक का आविष्कार ही नहीं हुआ था। शुरुआती मोबाइल फोन एनालॉग तकनीक पर आधारित हुआ करते थे और उन मोबाईल फोन को "AMPS" (Advanced Mobile Phone System) नेटवर्क पर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

• सिम कार्ड यानि की (Subscriber Identity Module) की अवधारणा और उपयोग डिजिटल मोबाइल फोन के युग में शुरू हुई है, खास तौर पर यह "GSM" (Global System for Mobile Communications) नेटवर्क के साथ साल 1990 के दशक में शुरू हुआ था। Motorola DynaTAC 8000X और दूसरे शुरुआती मोबाइल फोन सिम कार्ड की आवश्यकता के बिना ही काम करते थे।

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समय के साथ मोबाईल फोन के रूप इस प्रकार बदलते गए
पुरस्कार और सम्मान: मार्टिन कूपर को उनके कार्यों के लिए कई सारे पुरस्कारों से नवाजा गया है, जैसे कि...

(1)"प्रिंस ऑफ ऑस्टुरियस अवार्ड", 

(2) "व्हाइट हाउस नेशनल मेडेल ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन"।

(3) "फॉर्च्यून" और "टाइम" जैसी प्रसिद्ध पत्रिकाओं ने भी सम्मानित किया है।

मार्टिन कूपर की कमाई: मार्टिन कूपर की कुल संपत्ति और कमाई का सटीक आंकड़ा सार्वजनिक रूप से किसी को नहीं मालूम है, लेकिन उनके आविष्कार और योगदान ने उन्हें एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्थिति में पहुंचाया दिया है, इस बात से की इनकार नहीं कर सकता कि आज वो खुद में एक बहुत बड़े और रईस इंसान हैं, ज़ाहिर सी बात हैं उनको किसी भी चीज़ की कमी नहीं है।

मार्टिन कूपर का जीवन  हर किसी के लिए प्रेरणा है, जो हमें बताता है कि किस प्रकार दृढ़ संकल्प और मेहनत से हम बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं, बस शर्त इतनी है कभी हार नहीं मानना है।

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